देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य के सार्वजनिक निगमों-उपक्रमों, परिषदों व स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्मिक सातवें वेतनमान को लेकर भले ही आंदोलनरत हों, लेकिन खुद ये संस्थान और इनके प्रशासकीय विभाग सातवें वेतन का प्रस्ताव देने में बेहद सुस्त हैं। अभी तक महज पांच निगमों और कुछ जिला पंचायत परिषद के ही प्रस्ताव शासन को मिले हैं। अधिकतर के प्रस्ताव शासन को नहीं मिलने की वजह से उच्चाधिकार प्राप्त समिति सातवें वेतनमान के प्रस्तावों पर प्रस्तुतिकरण के लिए सोमवार और मंगलवार का ही कार्यक्रम तय कर पाई है। वहीं यह तकरीबन तय माना जा रहा है कि निगमों, निकायों, परिषदों व अन्य संस्थाओं की माली हालत देखते हुए इनमें सातवां वेतनमान लागू करने के बारे में गेंद आखिर में सरकार के पाले में ही जाने वाली है। तमाम महकमों की ओर इस संबंध में मुख्यमंत्री के दर पर दस्तक देने की तैयारी है।
सातवें वेतनमान को लेकर सार्वजनिक निगमों, उपक्रमों, परिषदों व स्वायत्तशासी संस्थाओं के संयुक्त महासंघ की ओर से आंदोलन का बिगुल फूंका जा चुका है। इसके बाद दबाव में आई सरकार ने इन तमाम संस्थाओं के नए वेतनमान के संबंध में प्रस्ताव सार्वजनिक उद्यम विभाग को सौंपने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि निगमों व अन्य संस्थाओं की ओर से जब सार्वजनिक उद्यम विभाग को प्रस्ताव दिए गए तो इस पर फिर आपत्ति जताते हुए संबंधित प्रशासकीय विभागों के माध्यम से प्रस्ताव देने के निर्देश दिए गए। प्रशासकीय विभागों को शासन की ओर से तय फॉर्मेट पर सूचनाएं देकर सातवें वेतनमान की पैरोकारी करना आसान नहीं है।
मंत्रिमंडल में जाएगा मसला
उधर, सूत्रों के मुताबिक निगमों, परिषदों व अन्य संस्थाओं में सातवां वेतनमान देने के संबंध में अंतिम निर्णय सरकार को करना है, इस बारे में मंत्रिमंडल फैसला लेगा। लिहाजा विभिन्न विभागों के प्रस्ताव मिलने के बाद इस संबंध में शासन की ओर से मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनके समक्ष वस्तुस्थिति रखी जाएगी।
Source:-Jagran
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